प्रतापगढ़।सत्ता की गलियों में अक्सर गूंजता है जिला का नाम। बड़े-बड़े नेताओं की जन्मभूमि और राजनीति की प्रयोगशाला कहे जाने वाले इस जिले की सच्चाई जमीनी स्तर पर बिल्कुल उलट है। यहां नेताओं का वर्चस्व तो है, पर विकास का अता-पता नहीं।
ग्रामीण अंचलों में खारा पानी लोगों की जिंदगी की सबसे बड़ी समस्या बन गया है। सरकारी हैंडपंप और ट्यूबवेल से पीने योग्य पानी न निकलना जनता के साथ सबसे बड़ी धोखाधड़ी है। वर्षों से शिकायतें उठीं, लेकिन नेताओं और अफसरों ने केवल फाइलों में योजनाएं घुमाईं।
जनपद में आम आदमी बोलने से डरता है। भय का माहौल ऐसा कि जनमत अपनी पीड़ा तक नहीं कह पाता। सत्ता रूढ़ दल कुर्सी बचाने और पाने की होड़ में है, वहीं विपक्ष केवल आरोप-प्रत्यारोप में मशगूल है। जनता के हित में ठोस पहल कहीं नजर नहीं आती।
ब्लाक बेलखरनाथ धाम के सिंगठी खालसा के मजरे नौहर हुसैनपुर गांव की टूटी-फूटी सड़क जनपद की राजनीति की असलियत बयां करती है। यह मार्ग वर्षों से बदहाल है। चुनावी वादों में इसे चमकदार सड़क बनाने की घोषणाएं हुईं, मगर आज तक केवल गड्ढे और धूल ही जनता की किस्मत बने हुए हैं। यह उदाहरण बताने के लिए काफी है कि नेतागण किस तरह विकास की अनदेखी करते हैं।
नेताओं की जुबान पर विकास है, लेकिन धरातल पर सिर्फ उपेक्षा। बेरोजगारी से जूझते युवा शहरों का रुख कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाएं जर्जर, शिक्षा अधूरी और बुनियादी ढांचे की हालत दयनीय है।
खुलासा यही है कि जनपद में राजनीति तो खूब है लेकिन विकास सिर्फ कागजों और भाषणों तक सीमित है। जनता अब ऐसे नेतृत्व की तलाश में है जो कुर्सी की राजनीति से ऊपर उठकर जिले को भय, खारा पानी और पिछड़ेपन से निजात दिलाए।